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गुरुवार, 18 जून 2020

chai peene ke nuksan

                 chai peene ke nuksan

क्या आप जानते है क्यों चाय का स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है

  सा लगता है. जिस चाय से अधिकांश लोगों को इतना अधिक स्नेह है, वे सम्भवतः यह नहीं जानते कि चाय का स्वास्थ पर बुरा असर होता है, चाय स्फ्रूर्ति दायक तथा लाभप्रद पेय न होकर अनेक दुर्गुणों से युक्त है. बेज्ञानिको द्वारा खोज करने पर पता चला है कि चाय में तीन प्रकार के प्रमुख विष पाए जाते है. थींन, टेनिन व केफीन.
                                                 

                                                chai peene ke nuksan

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थींन

चाय पीने से जो एक हल्का सा आनंद प्रतीत होता है, वह इसी थीन नामक विष का प्रभाव है. ज्ञान तन्तुओं के संगठन पर इसका बहुत ही विषेला प्रभाव पड़ता है.

टेनिन

यह कब्ज करने वाला, एक तीव्र पदार्थ है. यह पाचन शक्ति को बिलकुल नष्ट कर देता है. इसमें नींद को कष्ट कर देता है. इसमें नींद को नष्ट करने की भी शक्ति होती है. शरीर पर इस विष का प्रभाव शराब से मिलता जुलता पड़ता है. इसकी वजह से चाय पीने से बाद प्रारंभ में तो ताजगी अनुभव होती है, परन्तु थोड़ी देर में नशा उतर जाने पर खुश्की तथा थकान उत्पन्न होती है, जिसके कारण और अधिक चाय पीने की इच्छा होती है.

कैफीन

यह एक महाभयंकर विष है. इसका प्रभाव शराब या तम्भाकू में पाए जाने वाले विष निकोटिन के समान होता है, कैफीन विष ही चाय का वह अंश है, जिसके नशे के वशीभूत होकर व्यक्ति चाय का आदि बन जात है.

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विशेषज्ञों का मत है

कि चाय का नशा अन्दर ही अन्दर अपना कार्य करता है और धीरे-धीरे कुछ ही दिनों में शरीर को घुन की भाति चाट जाता है. चाय पीने से कैफीन विष के कारण मूत्र की मात्रा में लगभग तीन गुनी वृद्धि हो जाती है. परन्तु उसके द्वारा शरीर का दूषित मल, जिसका शरीर की शुद्धि के लिए मूत्र द्वारा निकल जाना आवश्यक है, वह शरीर के अन्दर ही बना रहता है.
फलस्वरूप गठिया का दर्द, गुर्दों तथा ह्रदय सम्बन्धी रोगों का शिकार बनना पड़ता है. जब चाय का खूब सेवन किया जाता है, तो उसके नशीले प्रभाव की अपेक्षा टेनिन एसिड के कारण पेट में गड़बड़ी बहुत होती है. बादी, पेट फुलाना, पेट दर्द, कब्ज बदहजमी, ह्रदयगति का अनियमित रूप से चलना और नींद का न आना आदि चाय पीने वालों के लक्षण है. इसके अतिरिक्त चाय पीने से दाँतों एवं नेत्रों के विभिन्न रोग पैदा होने लगते है.

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चाय के सेवन से चेहरे की कान्ति नष्ट हो जाती है.

चाय के व्यापारियों ने चाय के प्रचार के लिए लाखों झूठी प्रशंसा के सूते बाँधकर गरीबों को भी चाय का चस्का लगा दिया है. अब तो चाय गरीबों तथा अमीरों दौनो का ही आवश्यक पेय बन गया है. भोजन चाहे न मिले, पर चाय समय पर न मिले तो झगड़ा होने में देर नहीं लगती. परन्तु चाय के अवगुणों का अवलोकन करने के पश्चात् सी विनाशकारी चाय का सेवन अविलम्ब छोड़ देने में ही सब का हित है.

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